हमेशा शांत बहने वाली ऋषिगंगा के रौद्र रूप को देख ग्रामीण खौफजदा हैं। रैणी वल्ला, रैणी पल्ला और जुग्जु गांव के ग्रामीणों के 120 परिवार नदी के सैलाब से इतना डर गए कि वे रात में भी अपने घरों में नहीं गए। उन्होंने रविवार की रात जंगलों में टेंट लगाकर बिताई। सोमवार को भी दिनभर अपने गांव में रहने के बाद ग्रामीण रात को टेंटों में चले गए।

ग्रामीणों को ग्लेशियरों के बीच से फिर पानी का सैलाब आने की आशंका है। रैणी गांव के मुरली सिंह और पूरण सिंह का कहना है कि ऋषिगंगा की बाढ़ से रैणी गांव भी पूरी तरह खतरे की जद में आ गया था, लेकिन गांव के ठीक सामने चट्टान ने सैलाब का रुख मोड़ दिया, जिससे गांव तो बच गया, लेकिन अभी भी सैलाब को देख सदमे में हैं।

छुमा देवी, रमा देवी, श्यामा देवी और अषाड़ी देवी ने कहा कि ऐसी जलप्रलय पहली बार देखी। हमें घरों में भी भय लग रहा है। हम एक रात भी अपने घरों में बिताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि फिर कोई ऐसा सैलाब न आ जाए, जो गांव को ही बहा ले जाए। गांव के गुड्डू राणा का कहना है कि जलप्रलय के बाद से लोग सकते में हैं.

आपदा में रैणी और आसपास गांव के पांच लोग बह गए, जिसमें किसी ने बेटा खो दिया तो किसी की आंखों के सामने उसका भाई ऋषिगंगा में समा गया। बुजुर्ग दादी भागकर सुरक्षित स्थान पर नहीं पहुंच पाई और देखते ही देखते नजरों से ओझल हो गईं। रैणी सहित आसपास के गांवों में मातम छाया हुआ है। परिजनों ने भरी आंखों से उस मंजर को बयां किया जब वह देखते रह गए और उनके सामने परिजन नदी की आगोश में चले गए।

रविवार को ग्लेशियर फटने से ऋषिगंगा में आई बाढ़ ने रैणी गांव को कभी न भूलने वाले जख्म दे दिए। रैणी गांव के गौरव सिंह ने डबडबाती आवाज में बताया कि वह अपनी दादी अमृता देवी (72) के साथ पुल के पास खेत में काम कर रहे थे। अचानक से नदी में उफान आया तो वह कुछ समझ नहीं पाए। वह वहां से भाग गया लेकिन बुजुर्ग दादी तेज नहीं भाग पाई और मेरी नजरों के सामने नदी में समा गई। 

देवेंद्र सिंह ने बताया कि वह अपने भाई संजय सिंह (28 साल) के साथ नदी किनारे बकरी चरा रहे थे। नदी के उफान को देखकर दोनों भागे लेकिन उसका भाई संजय नदी में आ गया। रैणी पल्ली गांव के दरबान सिंह का बेटा यशपाल (31 साल) शिवालय के निकट बकरी चुगा रहा था। नदी की बाढ़ के बाद से वह भी लापता है। जुगजू के पंज ने बताया कि उसकी मां माघी देवी (45 साल) काली मंदिर के पास घाट काट रही थी और देखते ही देखते नदी में बह गई।

रैणी के खीम सिंह का 28 वर्षीय पुत्र रणजी सिंह कंपनी में काम करता था और वह रविवार से लापता है। चोरमी गांव का मंजीत रावत कंपनी में काम करता था, लेकिन उसका भी कुछ पता नहीं है। उसके परिजन अजीतपाल रावत, शरद सिंह, अनुज सुबह ही तपोवन पहुंच गए थे, लेकिन शाम तक मंजीत का कुछ पता नहीं लगा। शाम होने के बाद से परिजनों में उनके मिलने की आस भी खत्म होती जा रही थी। तपोवन के अमित डोभाल भी लापता हैं। उनके परिजन रमेश डोभाल, दिनेश डोभाल, सुभाष थपलियाल पूरे दिन भी अमित को तलाशते रहे। जब उनका कुछ पता नहीं लगा तो अंधेरा होने पर वह हताश होकर लौट गए।

चमोली आपदा: उत्तरप्रदेश के 70 से अधिक श्रमिक लापता, सीएम योगी ने तीन मंत्रियों को मोर्चे पर उतारा

लखनऊ. उत्तराखंड के चमोली जिले में प्राकृतिक आपदा (Chamoli Avalanche) से हुए भारी नुकसान पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) से बात की है. उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से फोन पर बात कर उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) की ओर से हर संभव सहायता का भरोसा दिया है. योगी आदित्यनाथ ने ऋषिगंगा और तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में काम रहे रहे लापता श्रमिकों की खोज में प्रशासनिक मदद देने के साथ वहां राहत कार्य को गति देने के लिए तीन मंत्रियों का दल भेजा है.

रविवार को चमोली के तपोवन में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची थी. इस प्राकृतिक आपदा में जो लोग प्रभावित हुए हैं उनमें उत्तर प्रदेश के लोग भी शामिल हैं. बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के लोगों के आपदा में फंसे होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि आपदा की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार अपने नागरिकों सहित सभी प्रभावितों को हर संभव मदद उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित है. उत्तर प्रदेश सरकार प्रभावित लोगों की मदद के लिए हरसंभव प्रयास करेगी.

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चमोली आपदा के शिकार हुए राज्य के श्रमिकों का पता लगाने के लिए अपने तीन मंत्रियों को मोर्चे पर उतार दिया है। इनमें एक कैबिनेट मंत्री और दो राज्यमंत्री हैं। तीनों मंत्रियों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से राज्य सचिवालय में मुलाकात की।

उन्होंने बताया कि परियोजनाओं मे उत्तरप्रदेश के 70 श्रमिक काम कर रहे थे, जो लापता हैं। लापता श्रमिकों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए यूपी सरकार ने हरिद्वार में एक कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया है।

मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वाले मंत्रियों में उत्तरप्रदेश के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा, आयुष राज्यमंत्री धर्मसिंह सैनी और राजस्व व बाढ़ नियंत्रण राज्यमंत्रीविजय कश्यप शामिल हैं। तीनों मंत्रियों ने आपदा प्रभावित क्षेत्र में बचाव एवं राहत कार्यों में यूपी सरकार की ओर से पूरे सहयोग का भरोसा दिया। भेंट के दौरान उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी ने उन्हें खासतौर पर उत्तरप्रदेश के लापता श्रमिकों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए भेजा है।

उन्होंने चमोली जिले की दोनों परियोजनाओं में काम करने वाले यूपी के सभी मजदूरों के बारे में जानकारी के लिए सभी जिलाधिकारियों को सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। यूपी के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को कहा कि लापता श्रमिकों की सूची उत्तराखंड सरकार को जल्द सौंप दी जाएगी। हरिद्वार में स्थापित कंट्रोल रूम में एडीएम स्तर के अधिकारी को तैनात किया गया है, जो उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों से समन्वय कर सूचनाओं को साझा करेंगे। मुख्यमंत्री ने तीनों मंत्रियों के सहयोग के आश्वासन पर आभार व्यक्त किया।




आपदा राहत में 11 करोड़ देगी हरियाणा सरकार



हरियाणा सरकार चमोली आपदा के हालात से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार को 11 करोड़ की राशि देगी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ट्वीट कर यह जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि देवभूमि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा ने  बहुत सी अनमोल जिंदगियों पर प्रभाव डाला है। इस प्राकृतिक आपदा से उत्पन्न हुई परिस्थितियों से निपटने के लिए मुख्यमंत्री राह कोष से 11 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी। उन्होंने उत्तराखंड की हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।

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