Personal life


Donald John Trump was born on June 14, 1946, at Jamaica Hospital in the borough of Queens in New York City,[1][2] the fourth child of Fred Trump, a Bronx-born real estate developer whose parents were German immigrants, and Mary Anne MacLeod Trump, an immigrant from Scotland. Trump grew up with older siblings MaryanneFred Jr., and Elizabeth, and younger brother Robert in the Jamaica Estates neighborhood of Queens and attended the private Kew-Forest School from kindergarten through seventh grade.[3][4][5] At age 13, he was enrolled in the New York Military Academy, a private boarding school,[6] and in 1964, he enrolled at Fordham University. Two years later he transferred to the Wharton School of the University of Pennsylvania, graduating in May 1968 with a B.S. in economics.[7][8] The New York Times reported in 1973 and 1976 that he had graduated first in his class at Wharton, but he had never made the school's honor roll.[9] In 2015, Trump's lawyer Michael Cohen threatened Fordham University and the New York Military Academy with legal action if they released Trump's academic records.[10] While in college, Trump obtained four student draft deferments.[11] In 1966, he was deemed fit for military service based upon a medical examination, and in July 1968 a local draft board classified him as eligible to serve.[12] In October 1968, he was classified 1-Y, a conditional medical deferment,[13] and in 1972, he was reclassified 4-F due to bone spurs, permanently disqualifying him from service.

Donald Trump ने जिस China के होश ठिकाने लगाए थे, वहां बिक रही हैं उनकी Buddha वाली प्रतिमाएं






बीजिंग: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. हालांकि, इस बार वजह बयानबाजी नहीं बल्कि उनकी खास मूर्तियां (Statue) हैं जिन्हें चीन में बेचा जा रहा है. ऑनलाइन बेचीं जा रहीं इन मूर्तियों में ट्रंप को भगवान बुद्ध (Buddha) के रूप में दिखाया गया है. सफेद रंग की इन मूर्तियों में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति आंख बंद करके बैठे हैं और उनके हाथ सामने की तरफ हैं, बिल्कुल वैसे जैसे भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं में होते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि चीन (China) में इन मूर्तियों को काफी खरीदार भी मिल रहे हैं, जबकि ट्रंप अपने कार्यकाल में बीजिंग के खिलाफ बेहद मुखर रहे थे.  

यहां हो रही है Sale

हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप की मूर्तियों (Statue) को चीनी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जाओबाओ (Zaobao) पर बेचा जा रहा है, जिसका मालिकाना हक अलीबाबा समूह (Alibaba Group) के पास है. निर्माता द्वारा मूर्तियों को 'मेक योर कंपनी ग्रेट अगेन' स्लोगन के साथ बिक्री के लिए रखा गया है, जो चुनावी अभियान के दौरान ट्रंप के स्लोगन ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ से मिलता-जुलता है.    

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इतनी है Statue की कीमत

ट्रंप की मूर्तियों के दाम की बात करें तो, छोटे आकार (1.6 मीटर) वाली मूर्ति की कीमत 999 चीनी युआन या 150 डॉलर है. जबकि इससे बड़ी मूर्ति को 3,999 युआन या 610 डॉलर में बेचा जा रहा है. ज्यादातर लोग इन मूर्तियों को केवल अपने मनोरंजन के लिए खरीद रहे हैं. शुरुआत में केवल कुछ ही मूर्तियां तैयार की गई थीं, लेकिन मांग को देखते हुए प्रोडक्शन बढ़ा दिया गया है.

Zaobao ने पहले भी किया था प्रयोग

वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है जब चीन की कमर्शियल वेबसाइट जाओबाओ ने डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर मुनाफा कमाने की रणनीति बनाई है. कुछ वक्त पहले उसने ऐसे टॉयलेट पेपर बाजार में उतारे थे, जिस पर ट्रंप का चेहरा प्रिंट था. ऐसे ही ट्रंप के ऑरेंज बालों वाला टॉयलेट ब्रश भी चीन में काफी लोकप्रिय हुआ था. इसके अलावा, कंपनी ने कुछ टी-शर्ट भी बिक्री के लिए रखीं थीं, जिन पर ट्रंप को लेकर तंज कसा गया था.   

Trump ने बढ़ाई थीं मुश्किलें 

बतौर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर दी थीं. खासकर कोरोना महामारी के बाद उन्होंने बीजिंग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए, उसकी कंपनियों पर शिकंजा कसा गया और चीन के शिनजियांग प्रांत से कुछ उत्पादों का आयात प्रतिबंधित किया गया, ताकि वीगर मुसलमानों पर चीन को घेरा जा सके. चीन में ट्रंप की मूर्ति खरीदने वालों का कहना है कि वे केवल मनोरंजन के लिए ऐसा कर रहे हैं. मूर्ति खरीदने का ये मतलब बिल्कुल नहीं हैं कि वे ट्रंप के प्रशंसक हैं.

क्या 2024 में एक बार फिर राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे डोनाल्ड ट्रंप?

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति (Former US President) ट्रंप के बारे में अटकलें चल रही थीं.. वो संन्यास ले सकते हैं, नई पार्टी बना सकते हैं या फिर रिपब्लिकन पार्टी (Republican Party) छोड़ सकते हैं. लेकिन, बाइडेन (Joe Biden) के राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले आधिकारिक भाषण में धमाकेदार अंदाज़ में ट्रंप ने सबकी बोलती बंद की




व्हाइट हाउस (White House) से 20 जनवरी को विदा हुए डोनाल्ड ट्रंप के बारे में अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी का एक धड़ा मानता है कि पार्टी में अब भी उनका आधार है, तो दूसरे के हिसाब से अगले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential Election 2024) में ट्रंप के दावे पर सवालिया निशान हैं. जो बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से ही यह चर्चा है कि 74 वर्षीय ट्रंप क्या अगले चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करेंगे? यह भी कहा गया कि ट्रंप नई पार्टी (Trump Party) बनाने के बारे में सोच रहे हैं! ऐसी खबरों, अफवाहों और अंदेशों पर ट्रंप का क्या कहना है?

    
ओरलांडो में कंज़र्वेटिव सियासत के एक सम्मेलन में ट्रंप ने अपने भाषण की शुरूआत ही यह कहकर की नई पार्टी बनाने का कोई इरादा नहीं है क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी मेरी अपनी ही है. इस क़यास को तो ट्रंप ने गलत ठहरा दिया कि वो अलग पार्टी बनाने जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कई दिनों से वो बाइडेन प्रशासन की खामियों और फेलियर पर नज़र रखे हुए थे इसलिए रिपब्लिकन पार्टी में ज़्यादा दिखाई नहीं दिए. अब रही बात कि क्या वो अगला चुनाव लड़ने के मूड में हैं!


About Presidential Election 2024, Trump said that I am going to defeat the Democrat Party for the third time. Now this statement is being understood in a different way, but the more logical way is that the statement of Trump's victory in 2016 and false claims of victory in 2020 were used here as a third victory in 2024 using Trump I counted Trump's claim in its place, but now the question arises whether Trump's party is happy or upset with this claim?

 
Describing Trump's announcement of his next election as a bad news for the Republican Party, Dash Wille of the German media wrote that Republicans would have expected Trump to voluntarily withdraw from the party and the factionalism he had caused within the party, It will be able to end. It was also written that Trump, in his first speech after stepping down from the presidency, said all this, that conference was dull and empty this time compared to previous years. Media in its place, but should know whether Trump really has lost his base!



क्विनिपिएक यूनिवर्सिटी ने हाल में जो पोल करवाया, उसके मुताबिक रिपब्लिकन पार्टी के भीतर के 75% लोग पार्टी को आगे ले जाने के लिए ट्रंप की सशक्त भूमिका चाहते हैं. बावजूद इसके कि ट्रंप दो महाभियोगों, झूठे दावों, कोरोना वायरस रोकथाम के मोर्चे पर फेलियर और कैपिटल हिंसा विवाद में बदनाम हो चुके हैं, पोल का कहना है कि पार्टी पर उनका होल्ड अब भी बरकरार है. अमेरिका के सियासी भविष्य में ट्रंप इसलिए भी अहम हैं क्योंकि हाल में उन्होंने यह भी दावा किया कि 2022 में अमेरिकी कांग्रेस पर उनकी पार्टी का वर्चस्व होगा.

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