पुणे पोर्श कार कांड: 

आरोपी के पिता की मुश्किलें बढ़ी,

 अब ऐसे शिकंजा कसेगी पुलिस

महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. उन पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. पहले बेटे की करतूतों की वजह से गिरफ्तार हुए पिता को अपने ही ड्राइवर के अपहरण के मामले में आरोपी बना गया है


महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. उन पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. पहले बेटे की करतूतों की वजह से गिरफ्तार हुए पिता को अपने ही ड्राइवर के अपहरण के मामले में आरोपी बना गया है. पुलिस ने उनके लिए प्रोडक्शन वारंट की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. पुलिस बहुत जल्द उन्हें यरवदा सेंट्रल जेल से अपने हिरासत में ले लेगी


पुणे पोर्श एक्सीडेंट केस में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। रविवार को आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने ही उसे पोर्श कार जन्मदिन पर गिफ्ट की थी। सुरेंद्र को पुलिस नाबालिग को बचाने और ड्राइवर को फंसाने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार कर चुकी है। कोर्ट ने उसे 3 दिन की कस्टडी में भेजा है।

सुरेंद्र अग्रवाल के दोस्त अमन वाधवा ने इंडिया टुडे को बताया कि 2 महीने पहले सुरेंद्र ने वॉट्सऐप ग्रुप में इसी पोर्श कार की तस्वीर शेयर की थी। इसी ग्रुप में दादा ने लिखा था- यह कार पोते को बर्थडे गिफ्ट में दी है।

उधर, शनिवार को सुरेंद्र को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि ड्राइवर पर सुरेंद्र ने एक्सीडेंट का इल्जाम लेने का दबाव बनाया था। ड्राइवर के स्टेटमेंट रिकॉर्ड कर लिए गए हैं। ड्राइवर ने बताया कि नाबालिग की मां ने भी उसे इल्जाम अपने सिर लेने को कहा था।



पुलिस बोली- पोते को बचाने के लिए दादा ने ड्राइवर को

 कैद रखा
क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने बताया था कि ड्राइवर को फंसाने की नाबालिग के पिता और दादा ने साथ में रची थी। ड्राइवर की शिकायत पर पुलिस ने दोनों के खिलाफ IPC की धारा 365 (गलत तरीके से कैद करने के इरादे से अपहरण करना) और 368 (गलत तरीके से छिपाना या कैद में रखना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पिता विशाल अग्रवाल को पुलिस ने 21 मई को गिरफ्तार किया था। दादा को 25 मई को गिरफ्तार किया गया। वह 28 मई तक पुलिस कस्टडी में है।

क्राइम ब्रांच के अधिकारी के मुताबिक, 18-19 मई की रात हादसे के बाद आरोपी के दादा और पिता ने नाबालिग को बचाने के लिए ड्राइवर को फंसाने की प्लानिंग की थी। 42 साल के ड्राइवर ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि घटना के तुरंत बाद मुझे सुरेंद्र अग्रवाल का फोन आया। वह फोन पर पहले चिल्लाए। फिर अपनी BMW कार में जबरन बिठाकर मुझे अपने बंगले ले गए। वहां 19-20 मई तक कैद रखा।

ड्राइवर के मुताबिक, नाबालिग के पिता और दादा ने उसका मोबाइल फोन छीन लिया था। उन्होंने हादसे का इल्जाम लेने के लिए पैसे का लालच दिया और कहा कि वे उसे जल्दी ही जेल से निकाल लेंगे। दोनों ने धमकी भी दी और कहा कि इस बारे में किसी से बात की तो याद रखना। मेरी पत्नी ने मुझे छुड़ाया।


पुलिस कमिश्नर बोले- नाबालिग ही गाड़ी चला रहा था



पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने शनिवार (25 मई) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ड्राइवर ने शुरू में बताया था कि वह कार चला रहा था। हालांकि, बाद में पुष्टि हुई कि नाबालिग ही कार चला रहा था। अगले हफ्ते तक आरोपी के ब्लड और DNA रिपोर्ट्स आने की उम्मीद है।

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि यरवदा पुलिस स्टेशन के दो अधिकारियों को भी निलंबित किया गया है। 18-19 मई की रात जब कल्याणी नगर में यह हादसा हुआ था, तब इंस्पेक्टर जगदाले और ASI टोडकरी मौके पर पहुंचे थे। हालांकि, दोनों ने घटना की जानकारी कंट्रोल रूम को नहीं दी थी। वे आरोपी को घटनास्थल से मेडिकल जांच के लिए भी नहीं ले गए थे।

200 की स्पीड में बाइक को टक्कर मारी, दो IT

 इंजीनियर्स की जान गई

18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के आरोपी ने लग्जरी पोर्श कार से बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी। हादसे में IT सेक्टर में काम करने वाले 24 साल के अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौके पर ही मौत हो गई। दोनों मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक, तब कार 200 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल रही थी।

आरोपी नाबालिग के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने 23 मई को दावा किया था कि घटना के वक्त कार उनका फैमिली ड्राइवर चला रहा था। आरोपी के पिता विशाल ने भी यही बात कही थी। पुलिस की पूछताछ में ड्राइवर ने भी पहले खुद गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की थी।


कोर्ट ने निबंध लिखने की शर्त पर आरोपी को जमानत

 दी थी

19 मई को ही हादसे के 15 घंटे के भीतर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने मामूली शर्तों के साथ आरोपी को रिहा कर दिया था। आरोपी को सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने, 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और शराब पीने की आदत के लिए काउंसिलिंग लेने को कहा गया था।

पुणे पुलिस ने जुवेनाइल बोर्ड से कहा कि अपराध बेहद गंभीर है, इसलिए नाबालिग आरोपी पर बालिग की तरह कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस बोर्ड के फैसले के खिलाफ सेशन कोर्ट पहुंची थी। कोर्ट ने पुलिस को बोर्ड में रिव्यू पिटीशन देने को कहा।

22 मई को जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को एक बार फिर तलब किया और 5 जून तक के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया। आरोपी का पिता पुणे का नामी बिल्डर है। हादसे की रात आरोपी अपने दोस्तों के साथ 12वीं के रिजल्ट का जश्न मनाने गया था। उसने घटना से पहले दो पब में शराब पी थी।

आरोपी ने 90 मिनट में 48 हजार रुपए की शराब पी थी

पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया था कि आरोपी 2.5 करोड़ की पोर्श कार से 18 मई को रात करीब 10:40 बजे कोजी पब गया था। यहां उसने 90 मिनट में 48 हजार रुपए का बिल चुकाया।

इसके बाद वह रात 12:10 बजे ब्लैक क्लब मैरिएट होटल गया था। यहां से निकलने के बाद रात करीब 2:15 बजे उसकी कार से एक्सीडेंट हुआ था। वह 200 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से कार चला रहा था। इसमें दो लोगों की मौत हुई थी।

आरोपी के दादा-पिता समेत अब तक 7 गिरफ्तार


मामले में आरोपी के दादा और पिता सहित अब तक 7 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनमें 5 लोग दो पब के मालिक, मैनेजर और स्टाफ हैं। इनकी पहचान कोजी रेस्टोरेंट के मालिक प्रह्लाद भूतड़ा, उसका मैनेजर सचिन काटकर, ब्लैक क्लब होटल के मैनेजर संदीप सांगले और उसका स्टाफ जयेश बोनकर और नितेश शेवानी शामिल हैं। इन पर नाबालिग आरोपी को शराब परोसने का आरोप है।

FIR के मुताबिक, नाबालिग के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। यह जानने के बावजूद उसके पिता ने उसे लग्जरी कार चलाने दे दी। बिल्डर को यह भी पता था कि उसका बेटा शराब पीता है, फिर भी उसे पार्टी में शामिल होने की इजाजत दी।

स्पेशल कोर्ट ने 24 मई को आरोपी के पिता समेत सभी छह आरोपियों को 7 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजा है। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की गई थी, ताकि यह दिखाया जा सके कि आरोपी नाबालिग गाड़ी नहीं चला रहा था।

पुलिस ने आरोपी के पिता, बार मालिकों और मैनेजर के खिलाफ दर्ज FIR में धोखाधड़ी की धारा 420 भी जोड़ी है। कमिश्नर ने कहा, 'हमारे पास नाबालिग के पब में शराब पीते हुए CCTV फुटेज हैं। ऐसे में हम सिर्फ ब्लड सैंपल रिपोर्ट पर निर्भर नहीं रहेंगे। साथ ही इंटरनल इन्क्वॉयरी में पता चला है कि कुछ पुलिसकर्मियों की ओर से चूक हुई थी और सबूत नष्ट करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'

घटना के बाद पुणे जिला प्रशासन ने शहर में संचालित पबों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। नियमों का उल्लंघन करने वाले 32 पबों पर एक्शन लिया गया। इस कार्रवाई के खिलाफ शुक्रवार (24 मई) को 2500 पब-बार कर्मचारियों ने पुणे स्टेशन के पास राजा बहादुर मिल्स एरिया में प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन में शामिल महिला ने कहा कि जो पब नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उनके खिलाफ एक्शन होना चाहिए, सभी पर नहीं। एक युवक ने कहा कि दो पब की गलती का खामियाजा, हमें भुगतना पड़ रहा है। एक पब के मालिक ने कहा कि कोविड के दौरान हमें बहुत नुकसान हुआ था। अब इस कार्रवाई से और नुकसान हो रहा है।


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