RBI की बड़ी कामयाबी,  ब्रिटेन से वापस लाया गया 100 टन सोना....................

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने वित्त वर्ष 2024 में 100 टन सोना यूके से वापस मंगाया है और इसे अपने भंडार में शामिल किया है. विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए RBI ने गोल्‍ड को साल 1991 में ब्रिटेन के पास गिरवी रखा था. यह पहली बार है जब 100 टन सोना विदेश से RBI ने अपने भंडार में ट्रांसफर किया है.

नमस्कार साथियों स्वागत है आप सभी का opentopia-uk.blogspot channel पर, मैं हूं opentopia-uk.blogspot ka host. आप है मेरे साथ में एक ऐसी खबर जिसे padne के बाद एक ही पल को आपको ऐसा लगेगा कि जो एक समय भारत ने अपना सोना सीक्रेट तरीके से दूसरे देश के अंदर भिजवा दिया था क्या वही सोना वापस आ गया है.

 Secret Sale of Gold जो RBI के द्वारा वर्ष 1990-91 के दौर में की गई थी. जब भारत भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा थातो क्या हम आर्थिक संकट से बाहर निकलते हुए अपना उसे गिरवी रखे सोने को वापस ले आए हैं 

यही जानने के लिए आज का Blog- post  देख लीजिए क्योंकि वर्ष 1991 में एक सुर्खी jisne sabhi भारत वासियों को शर्म से झुका दिया था. उसका इतिहास आज के Blog- post  में जिक्र जरूर करेंगे लेकिन आज जो गोल्ड वापस आ रहा है. जिसकी चर्चा हो रही है इंग्लैंड से 100 ton  गोल्ड इंडिया आ रहा है, is post  के पूरा होते-होते आपको पता चल ही जाएगा. dosto आपसे गुजारिश है कि post को जल्दी से apne  साथियों से साझा कर देंआप खुद चैनल पर नए हैं तो सब्सक्राइब जरूर कर लें साथियों यहां पर आपको एक तस्वीर दिखाता हूं. यह तस्वीर है Bank of England  ki, 


जैसे अपने यहां पर RBI (रिजर्व बैंक आफ इंडिया) है. ऐसे ही इंग्लैंड के अंदर बैंक ऑफ इंग्लैंड की जहां बैंक के नीचे यह जो आप जगह देख रहे हैं यह एक अंडरग्राउंड प्लेस है बैंक ऑफ इंग्लैंड के जमीन के नीचे ऐसे नो बड़े-बड़े अंदर ग्राउंड्स हैं जहां पर दुनिया भर का सोना रखा हुआ है. उनमें से उसे सोने को देखने के लिए केवल ब्रिटेन के राजा अथवा रानी को ही इजाजत होती है. जो ब्रिटेन को लीड कर रहा होता है. जो ब्रिटेन ka प्रथम नागरिक होता है. वही उसे गोल्ड को देख सकता है. ऐसा ही एक दृश्य आपके सामने है, जो गोल्ड को देखते हुए खुद महारानी दिखाई दे रही है. जो अब स्वर्गीय हो गई हैं. 


आज के
 Blog- post  में विस्तार से चर्चा है. क्योंकि हैडलाइन है, कि आरबीआई अपना 100 टन सोना रिजर्व यूके की वोल्ट से लेकर वापस आ रहा है. तो यहां पर आप खबर देख रहे हैं आरबीआई ब्रिंग बैक ला चुका Hundred ton of gold reserves from UK .यह Headline हर जगह आज के समय पर छाई हुई है. तो आपसे गुजारिश है कि इस Headline को विस्तार से समझने के लिए कमर की पेटी कश लीजिए. क्योंकि कहानी बड़ी रोचक होने वाली है जब आप इतना सारा गोल्ड देखते हैं. तो मन में कई तरह के सवाल आने लगते हैं. कि यार यह गोल्ड है तो इसकी सुरक्षा को लेकर के क्या किया जाता होगा. किस तरह की प्लानिंग होती होगी. कहां रखते होंगे कौन-कौन सुरक्षा करता होगा. अपने देश में कहां रखा होगा. इंडिया में गोल्ड की क्या महत्वता है. सरकार गोल्ड से कुछ खरीदती बेचती थोड़ी है. हमारे यहां तो रुपया ही चलता है. फिर गोल्ड क्यों लाया जाता है बहुत सारे प्रश्न है. चलिए फिर भी आपसे एक सवाल पूछ लेते हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड प्रोड्यूस कहां होता है. 

कमेंट बॉक्स iska जवाब दे दीजिए.  साथियों आज की खबर को थोड़ा सा इतिहास से जोड़ते हुए लाते हैं. और आज hum लौटेंगे सन 1991 main,  जब देश की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई थी. हमारे पास दुनिया के देशों से समान मंगवाने के लिए पैसा नहीं था. अब हमको विदेश से मनाने की क्या जरूरत थी? जी हम तो खुद ही आत्मनीभर हुआ करते होंगे. जी नहीं तेल आज भी हम मंगवाते हैं, पहले भी मंगवाते थे. ऑयल हमारे देश में इतना सफिशिएंट नहीं है. कि हम खुद से ही उसे उत्पादित कर लें. तो हम गल्फ कंट्री से देश के लिए तेल मंगाया करते थे. अच्छा अचानक हमारी स्थिति खराब हुई नहीं थी. असल में इसके पीछे एक ऐतिहासिकता कुछ इस प्रकार की रही है कि जब भारत 1947 में आजाद हुआ था.

 तो हमारे दिमाग में यह भावना थी कि अंग्रेजो ने हम पर शासन क्यों किया. क्योंकि यह एक कंपनी लेकर आए थे. हमने विदेश से कंपनी को आने दिया था. इसलिए हम गुलाम हो गए थे. तो हमारे देश में यह भावना थी, कि विदेशियों को अंदर नहीं आने देना है. यानी अगर ताजा ताजा आजाद हुए हो. तो दूसरी कंपनी को कैसे आने दोगे. तो humne apne  मन में एक भावना बना ली कि विदेशी कंपनी अगर आएगी तो हमें लूट कर ही जाएगी. जैसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी हम पर राज किया था. तो ऐसी स्थिति में हम किसी को एंट्री नहीं करने देंगे. तथा हमने अपने आप को एक क्लोज इकोनॉमी के रूप में रख लिया.

 कि हमारे यहां पर किसी से किसी का कोई संबंध नहीं है. हम दूसरी देश के साथ कोई व्यापार नहीं करेंगे. अपना पैदा करेंगे अपना खायेंगे. जो हमारे पास रिजर्व है उसी से सारा काम करेंगे. चलोये तो अच्छी बात हैलेकिन दुनिया के किसी देश से माल अगर खरीदना पड़ रहा है तो उसे पेमेंट तो करोगे। बोले हां करेंगे. मैं रुपए क्यों नहीं दूंगा. पर रुपया तो कोई मान ही नहीं रहा है. सामने वाला कह रहा है. मैं रुपया जानता ही नहीं हूं. मेरे यहां पर उसे रुपए से कुछ क्यों नहीं होता है. 

तो भारतीय सरकार के लीडर बोले आप क्या मानते हो. तो विदेशी सरकार बोलीमैं तो अमेरिका का डॉलर मानता हूँ। बोले अमेरिका का डॉलर क्यों मानते हो .क्योंकि अमेरिका का विश्व में सिक्का चलता है सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद में दुनिया के सामने यह माना जाता था. कि  डॉलर सोने के बराबर  है. आप डॉलर जमा कराओ उसके बदले सोना ले जाओ. इतना बड़ा सिक्का चलता था.  इस तरह की अमेरिका की वैल्यू थी.  दुनिया के देश कहते हैं कि हम तो केवल डॉलर में ही व्यापार करेंगे. कम से कम डॉलर के बदले सोना तो मिलेगा.  अब हमारी मजबूरी यह हो गई है, कि हमारे पास जो थोड़ा बहुत सोना रिजर्व है.  इसके अलावा विदेशी मुद्रा के नाम पर हम दुनिया के दूसरे देशों के साथ व्यापार क्यों नहीं कर रहे हैं.

क्योंकि हमें  खरीदने के लिए  पैसा चाहिए. खरीदने के नाम पर हमारे बिल बढ़ते चले गए. यानी हमारी रिपोर्ट तो ज्यादा चली गईलेकिन हमारे एक्सपोर्ट्स कम होते चले गए. एक्सपोर्ट्स कम क्यों हो रहे थे. क्योंकि हम कोई उन्नत देश नहीं थे. जब हम आजाद हुए तब हम पूरी तरह से पिछड़े हुए  अल्प विकसित राष्ट्र थे. ऐसी स्थिति में हमारी तो यहां की प्रारंभिक जीवन में ही कृषि संबंधी बुनियादी जरूरत थी कृषि संबंधी बुनियादी जरूरत को ही आगे बढ़ा रहे थे हमारे गांव में लगभग 95% आबादी रहती थी. तो हम केवल पैदा करके अनाज खाने वाली स्थिति में थे. वह भी स्थिति हमारे कंप्रोमाइज हुई थी यानी एक वक्त ऐसा आ गया था.

 जिस समय अगर हरित क्रांति ना आई होती तो न जाने कितने लोग भूख से मरते. क्यों क्योंकि एक वक्त का भोजन ही हम प्रोड्यूस नहीं कर पा रहे थेजनसंख्या के हिसाब से. खैर हमने वह भूख से लड़ाई लड़ी. लेकिन अभी पैसे की लड़ाई लड़नी थी. क्योंकि बाहर वालों को पैसा चाहिए था सब ठीक-ठाक तरीके से खींच- तान के चल रहा था. सरकार हल्के हल्के तरीके से डरते डरतेअपने यहां पर ढील दे रही थीकि कोई बात नहीं अगर हम दुनिया के देशों के साथ व्यापार नहीं करेंगे तो डॉलर आएगा कहां से. जब तक हम कुछ बेचेंगे नहीं पैसा आयेगा नहींकुछ बेचना है तो सामने वाला कहता हम आपसे क्यों ले. किसी और देश से क्यों ना ले. यह बोल कर हमारे यहां यह चीज पैदा होती है. हमारी कंपनी को आने दोगे तभी हम तुम्हारा माल खरीदेंगे. तमाम प्रकार की चीज होने लगी इसलिए सरकार ने कहा ठीक है अगर कोई कंपनी हमारे यहां आना चाहती है. तो हम उसे पर पूरा नियंत्रण रखेंगे पहले हम निश्चित करेंगे कि यह कंपनी अगर हमारे देश में आ रही है. तो इसका कोई इरादा तो खराब नहीं है हम इसकी पूरी जांच पड़ताल करेंगे. तभी जाकर इसको काम करने का लाइसेंस देंगे. 

यह जो लाइसेंस देने का आजादी के बाद सिस्टम चला इस लाइसेंस राज कहा गया हमारे यहां पर इस लाइसेंस को लेने के लिए बाबुओं के पास आईएएस ऑफिसर्स के पास लंबी कटारे रहती थी कि सर जी लाइसेंस दे दीजिए क्योंकि वह फाइलें लाल कलर की होती थी लाल बत्ती में अधिकारी घूमा करते थे उसे चीज को लाल सीता शाही या रेड टेपिस्म के नाम से भी जाना जाने लगा कि इंडिया में लाइसेंस चाहिए तो बाबू के पास जाइए बाबू बड़का बाबू हो सकता है चुटका बाबू हो सकता है क्लर्कल स्टाफ भी हो सकता है.

लेकिन सभी बाबू क्योंकि सरकार के नाम पर काम करते हैं, यह रिश्वत लेंगे. तो हमारे देश में सीधे-सीधे लाइसेंस के चक्कर में लाल फीता शाही पनपना लगी और उसके साथ-साथ भ्रष्टाचार जबरदस्त तरीके से पनपना लगा यह सब पाना भी रहा था और हमारे देश की स्थिति चरमराती जा रही थी क्यों क्योंकि आपको अगर लाइसेंस चाहिए तो सरकार तक परमिशन लेने में लंबा समय लग रहा थाकोई बात नहीं सब लाइसेंस राज चलता रहा लाल फीता शाही पनपत्ति रही लेकिन देश की स्थिति बिगड़ती चली गई स्थिति इतनी खराब हो गई कि हम दुनिया की बहुत सी कंपनियों को कम करने के लिए जब बुलाते भी थे.तो खर्च हो जाता था.

 स्थितियों ने करवट ली स्थितियां बिगड़ी स्थितियां कब बिगड़ी जब वर्ष हुआ 1990 के बाद का क्यों साहब ऐसा क्या हुआ हम जो सामान्यतः तेल मंगा रहे थे अचानक उसे तेल के दाम बढ़ गए दम क्यों बढ़ गए क्योंकि गल्फ में यानी खाड़ी देशों में युद्ध छिड़ गया इराक ने अपने पड़ोसी मुल्कों पर हमला कर दिया अमेरिका ने इराक को सबक सिखाने की ठान ली,

अमेरिका इराक को अपना दुश्मन बना लिया इंडिया इराक का मित्र हुआ करता था इराक का ही हम तेल मंगाया करते थे. हमारे truck की टंकियां पर लिखा होता था कि इराक का पानी पी मेरी रानी,

 आज भी आपको सड़कों पर चलते हुए यह लाइन मिल जाएगी लेकिन इंडिया और इराक में अचानक दूरियां बढ़ने लगी, क्योंकि इराक पर हमले होने की तैयारी चल रही थी भारत की तरफ से अमेरिका से बातचीत की जा रही थी कि सर हमें तेल चाहिए अब दुनिया में युद्ध का संकट है.

तेल की कीमतें बढ़ना शुरू हो गई क्यों क्योंकि युद्ध हुआ तो फिर तेल लेने उसे खाडी के देशों में जाना पड़ेगा.  और तेल  मिलेगा नहींतो दुनिया के बहुत से देश वैसे ही मर जाएंगे. पहले ही हमारे पास डॉलर नहीं है उसके अलावा अब हमें महंगा भी तेल मिलेगा. महंगा तेल मिलेगा तो ना तो डॉलर है और रहा सब तेल और महंगा हो गया. तो हम डॉलर कहां से चुकाएंगे हमारे पास पेमेंट का संकट उत्पन्न हो गया. 

हम american government के पास गएऔर वहाँ की गर्वमेंट से कहा कि अगर संभव हो तोहमें कुछ डॉलर्स दे दीजिए. अमेरिका तो पहले से ही मौका परस्त रहा हैं। उसने कहा ठीक है डॉलर चाहिए मैं दे दूंगा. लेकिन बदले में हम अपने फाइटर जेट्स को आपकी धरती पर उतरेंगे इराक पर हमला करने के लिएताकि हमारे फाइटर जेट्स  आपकी धरती से उतरकर के  वहां पर हमला करने जा सकें. अमेरिका ने बहुत बार हमारे साथ ऐसी ही तैयारी चेक की है. उसके बदले उसने हमें डॉलर्स ऑफर किया यह टैक्टिक भी कुछ ही दिन काम आई. हमें अभी भी पैसे की जरूरत थी. 

पैसे के नाम पर दुनिया में दो बड़ी बैंक हुआ करती थी.एक का नाम था आईएमएफ और एक का नाम था वर्ल्ड बैंक. 

आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक यह दोनों बैंक दुनिया में कर्ज देती हैं. लेकिन इन पर भी अमेरिका का ही प्रभुत्व है. जब कोई देश पेमेंट क्राइसिस से गुजर रहा होता है  इंपोर्ट ज्यादा एक्सपोर्ट कम के दौर से गुजर रहा होता है. जो अभी पाकिस्तान के हालात हैं तो फिर आईएमएफ निकलकर बाहर आता है.

आईएमएफ कहता है कि अगर आपको डॉलर्स चाहिए मैं दूंगालेकिन मेरे कहे अनुसार आपको कुछ सुधार करने होंगे.  अर्थात अपने देश में हमारी कंपनियों को आने की इजाजत दो. जो अभी पाकिस्तान में फिलहाल हो रहा है हम 1991 में मैं वो सब देख चुके हैं.  जो आज पाकिस्तान में हो रहा है. अपनी कंपनियों को किस प्रकार से बेचता चला जा रहा है. क्योंकि खरीदने वाले विदेशी होंगे. क्योंकि अल्टीमेटली क्या चाहिए डॉलर चाहिए. अमेरिका ने हमसे एकदम दृढ़ता से कहा डॉलर से आपका काम चल जाएगा. डॉलर लेंगे तो आपको हमारे लिए यह नियम खोलने पड़ेंगे. आईएमएफ के नाम पर उसने हमारे साथ मांडवली करना शुरू किया. हमने कहा हम सब मान लेंगे आप हमें डॉलर दोहमारे तेल के बिना काम नहीं चल रहा है. 

लेकिन वास्तविकता है कि उसका एक तिहाई ( 1/3) पैसा अमेरिका का है. तो अमेरिका का इतना जबरदस्त कंट्रोल है वर्ल्ड बैंक के ऊपर और आईएमएफ के ऊपर.  तो अमेरिका की आईएमएफ ने कुछ वन बिलियन डॉलर्स में दे दिए. कि यह पकड़िए आप अपना loan चुकाइये. मतलब अपना तेल खरीदा है. लेकिन करें क्या गल्फ वार के चलते तेल तो आसमान छू रहा था. हमारे पास इंपोर्ट बिल बढ़ते जा रहे थे. हैंड टू माउथ स्थिति हो गई सरकार की गरीबी सबके सामने आने लगी. जो आज पाकिस्तान के हालात हैं वही हालात उस समय हमारे देश( भारत) के भी थे. अब हमारे ऊपर दबाव था कि आईएमएफ का कहा हुआ मान लें. जो शाहबाज शरीफ ने अभी माना है. उस समय हमारे ऊपर भी इस बात का दबाव आया. जब दबाव आया तो हमने चुपकेअपने नियमों को चेंज किया. इस बारे में दुनिया से कैसे कहेंकि अब तक तो हम यह कहते आ रहे थे कि हम अपने देश में दूसरी कंपनियों को आने नहीं देंगे. भारत के वितीय एडरवाइजर ने कहा कि अब हम गुलाम हो जाएंगे. 

लेकिन अगर हम यह रास्ता खोलते नहीं है. तो पैसे का संकट है कोई बात नहीं इस बीच में गोल्ड का रास्ता निकाल कर बोले कि एक काम करो आरबीआई के पास कुछ गोल्ड रखा हुआ है. जैसे आपने कभी देखा हो अपने घरों में भी जब घर की आर्थिक स्थिति चरमराने लगती है. तो मां अपने सोने को गिरवी रखकर घर का काम चलाने के लिए सबसे पहले देती है. कि लीजिए इससे अगर घर चला सकते हो तो चला लो. 

आरबीआई ने भी कुछ ऐसा ही किया कि अगर देश के लिए इतना ही बड़ा संकट आ गया है. तो लीजिए मेरा यह गोल्ड ले लीजिए. और इसे जाकर किसी दूसरे देश में गिरवी रख दीजिए और इसके बदले पैसा ले लीजिए.

भारत में गोल्ड आन- बान- शान है. अगर कोई महिला अपना गोल्ड गिरवी रख रही है तो समझिए कि कि कितनी खराब स्थिती हैं। देश मतलब घर,  ऐसी स्थिति में सोचिए देश पर क्या होगा. क्योंकि देश भारत मां के नाम से जाना जाता है. और भारत मां अपना गोल्ड गिरवी रख रही है यह वह दौर था 1991 का हमने चोरी छुपे इस गोल्ड को बैंक ऑफ इंग्लैंड में और बैंक ऑफ जापान पहुंचाने का प्लान बनाया प्लान बनाया. 

बैंक ऑफ इंग्लैंड में और बैंक ऑफ जापान में अपना सोना देकरऔर उसके बदले डॉलर लेकर आने का. हमने लगभग 40 से 45 मिलियन टन अपना सोना उनको दिया. और उसके बदले 400 मिलियन डॉलर के आसपास धन लेकर लौट आए. हम बहुत ही चोरी छुपे अपना गोल्ड लेकर गए किसी को बताया नहीं हमने लेकिन उसे समय के कुछ अखबारों ने इस लीक कर दिया. उनमें एक्सप्रेस का नाम भी काफी चर्चित हुआ उन्होंने दिखा दिया कि देखिए भारत का सोना चोरी छुपे दूसरे देश में रखने को मजबूर हुआ.

भारत बहुत कुंठित  हुआकि यार नहीं बस अब बहुत हो गया हमारी कौन सी ऐसी नीति है जिसके चलते हम इतने परेशान हुए इसके लिए हमें अपना गोल्ड गिरवी रखना पड़ा. तब जाकर के मनमोहन सिंह जी ने कहा कि देखी हमारी नीति जो लाइसेंस राज चल रहा है ना इससे निकलना होगा. इससे निकलना होगा. और हमें खुलकर काम करना होगा. वह बोले हमें लिबरलाइजेशन ग्लोबलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन जिसे शॉर्ट फॉर्म में L.P.G कहते हैं. उदारीकरण वैश्वीकरण यह हमें अपनाना पड़ेगा. निजीकरण यह हमें अपना ना पड़ेगा. अगर हम यह नहीं अपनाएंगे. तो डॉलर्स हमारे देश में खुद चलकर नहीं आएंगे. और जब डॉलर्स नहीं आएंगे. तो हम किसी को पेमेंट नहीं कर पाएंगे. और पेमेंट नहीं कर पाएंगे तो हम फैलियर इकोनामी बन जाएंगे. उसे समय पीवी नरसिम्हा राव जी पीएम हुआ करते थे. 



जून 1991 में, उस समय भारत के प्रधान मंत्री, पीवी नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को अपने वित्त मंत्री के रूप में चुना।



राव ने निर्णय लिया कि भारत, जो 1991 में दिवालियापन के कगार पर था, को अपनी अर्थव्यवस्था को उदार बनाने से लाभ होगा। उन्होंने अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया।



आरबीआई के वित्त सलाहकार और आईएमएफ का पड़ता प्रेशर और प्रदेश की हुई बेइज्जती ने हमें उस समय वहां लाकर  खड़ा कर दिया कि  हमें अपने बजट में यह चीज प्रस्तुत करनी है. उसे समय पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी। तब पीएम के सामने वित्त मंत्री (मनमोहन सिंह ) ने अपनी जानकारी रखी. की सर अब हमको नियम बदलने पड़ेंगे. वरना हम  बर्बाद होने वाले हैं.इंडिया जो  सन 1947 से 1991 तक जो नियम बांधकर चल रहा थाकिसी को नहीं आने देंगे.  अचानक हमने अपनी सीमाएं खोल दी .



 यहां तक कि कहानी आपके समझ में आ गई होगी. अब आगे की  कहानी  सुनते हैं तो आपके दिमाग में बड़ा प्रश्न यह है कि सर वो जो गोल्ड गया था उसके बदले पैसा तो आ गया.


 अब बात आती है कि अभी कितना सोना हमारे पास है.

 हम   सन 1991  जो सोना दिए थे है.  तो अब स्थितियां बदल चुकी है .साथियों अब हमारे पास वो वाला जो गोल्ड हमने उस समय(1991में) गिरवी रखा था,  वह तो हमारे पास वापस आ चुका है. तो फिर क्या हुआ है अब असल मायने में कुछ बात कुछ अलग है अब वह बात क्या है उनको समझते हैं. साथियों अब इंडिया की आरबीआई के पास आज मतलब मार्च 31 की रिपोर्ट के अनुसार आज से एक से दो महीने पहले तक  822 टन सोना हमारे पास था.

ऑलरेडी 822 मेट्रिक टन सोना आरबीआई के पास है .अपनी आरबीआई के पास अब यह जो 822 टन सोना जो हमारे पास है ना इसमें से लगभग 514 टन जो सोना है. वह हमने बाहर सुरक्षित रखा हुआ है. यानी 400 से 500 मेट्रिक टन गोल्ड जो है. वह हमने इंडिया से बाहर रखा हुआ है. अब बड़ा सवाल यह है ह कि क्या अभी भी हमने अपना सोना गिरवी रखा है. और कहां रखा हुआ है. दुनिया की बैंकों में रखा हुआ है. उनमें से भी मेजर बैंक कौन सी हैबैंक ऑफ इंग्लैंड है. 

खबर क्या है हम उसे जमा अपने गोल्ड में से 100 टन सोना वापस ले आए हैं. तो पहला क्वेश्चन तो यहीं पर क्लियर हो जाना चाहिए गिरवी सोना तो हम पहले ही मंगा लिए उसके बाद में हम जो अपना सोना बैंक में जमा करा कर रखे हुए थे उसमें से 100 टन सोना ले आए हैं. 

तो पहले तो यहां तक पहुंचते पहुंचते एक डाउट आपका क्लियर हो जाना चाहिए. 

अब बड़ा सवाल यह बनता है सर लेकिन बाकी तो बात सही है हम अपना सोना रखे क्यों थे. यह तो बढ़िया सवाल है. चलिए अब इसका आंसर खोजते हैं.  और यह वहां क्यों रखा था. बड़ा सवाल अब यह हैचलिए इसका जवाब खोजते हैं. देखिए क्या है ना जी की आज इंडिया को कभी भी बैलेंस आफ पेमेंट का क्राइसिस होतो कोई ऐसा न्यूट्रल आदमी चाहिए. जिसके साथ हम सोने की लेन-देन कर सकें. 

पहले तो पॉइंट यहां समझने की आवश्यकता है. दूसरा बिंदु क्या समझने की आवश्यकता है. कि आपके पास 822 टन सोना है. भारत का फॉरेन रिजर्व फॉरेक्स इसी सोने से जज किया जाता है.  साथ ही साथ में जो आईएमएफ के अंदर जो हमारा मुद्रा भंडार है नाउसके हिसाब से भी जिसको हम एसडीआर कहते हैं. स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स जिसमें पांच देशों की करेंसी को काउंट किया जाता है कि आपके पास डॉलर कितना हैपौंड कितना हैयूरो कितना हैयुवान कितना है और जापानी येन कितना है इन पांच देशों की करेंसी जैसे एसडीआर कहते हैं. यह धन कितना है. और गोल्ड कितना है. इस आधार पर जज किया जाता है. 

यह तो बड़ी बेइज्जती की बात है, की सुरक्षा के लिए हम अपना सोना किसी दूसरे देश में रखते हैं. हां तो बेज्जती की बात है उसी को तो दूर किया जा रहा है. क्या हमें अपने देश पर विश्वास नहीं है. क्या अरे यार बिल्कुल बहुत सही बात है. बिल्कुल होना चाहिए. काहे नहीं होना चाहिए. तो यही तो सवाल है कि इतने दिन से वहां कहे रखे थे. अर्थात् हमारा अपना सोना जो दुनिया में हमने इसलिए सुरक्षित रखा हुआ है. कि हमें डर है कि हमारे पास रहेगा तो चोरी ना हो जाए. अब कौन चोरी करेगा यार, सरकार के पास सब कुछ सुरक्षा होती है बहुत सही, 

साथियों जब देश में अस्थिरता का माहौल हो. देश के अंदर हर साल कोई प्रधानमंत्री चेंज हो रहा हो. राजनीतिक उठा- पटक हो सकता हैं. तख्ता पलट का डर हो, ऐसी स्थिति में सरकारें अपने देश का सोना अपने से उठाकर दूसरे देश में पहले ही रख देते हैं. कि भाई पता नहीं उसे समय कौन सनकी प्रधानमंत्री बने. क्या पता किसी आतंकी का शासन हो. पता चले कि वह सारा गोल्ड निकाल करके और अपने काम में ले ले. तो बोल भाई इससे अच्छा है, दूसरे देश में रख दो. ताकि दुनिया को पता तो चले कि सोने चला गया. आई बात समझ में, इसलिए दुनिया के अंदर जो भी अल्प विकसित या विकासशील देश हैं. वो डर के मारे अपना सोना दूसरे देश में सुरक्षित रख देते हैं. 

इंग्लैंड जिसमें दुनिया पर इतना राज किया है. उसका वह राज आज भी हमारे ऊपर साइकोलॉजिकल तो करता ही है. उसकी बैंक जो हमसे हमको सोने की चिड़िया से मरी चिड़िया बना कर चला गया था. उसी के पास जाकर हमने अपना सोना सुरक्षित रख दिया. कि नहीं साहब इतना सोना पचाने की आप में टेंडेंसी रही है. तो आप यह भी पचा ही लोग हम अपना सोना जाकर वहां की वोल्ट में रख दी. तो अब समझो बैंक ऑफ इंग्लैंड के अंदर जो बहुत बड़े-बड़े अंदर ग्राउंड्स में गोल्ड रखा गया है. 

दुनिया भर के देशों ने अपना गोल्ड उसमें रखा हुआ है. कि लीजिए साहब हमारा गोल्ड सुरक्षित रखिए. अब होता यह है कि कोई भी देश वहां से गोल्ड निकलता नहीं है. तो क्या करता है. जिसे मान लो कभी आपको लग रहा है, कि डॉलर की कमी पड़ रही है. हमारे पास धन नहीं है. तो अकाउंट में मैनेज किया हुआ है. क्या मैनेज किया हुआ है. कि मान लीजिए एक देश के पास डॉलर कम पड़ रहे हैं. और उसके पास गोल्ड है जो भी देश से उसे डॉलर चाहिए. तो अकाउंट में ही ट्रांसफर हो जाता है वहीं से अब आपका नाम का गोल्ड दूसरे के नाम पर चढ़ता है. 

एक तरह से समझिए कि वह मंडी बनाकर के बैठा हुआ है. अब लेकिन हमको यह चीज लग रही है हमारे देश में तो बड़ी स्थिरता है. स्थिरता है, तो गोल्ड तो हमारे देश में आना चाहिए. बिल्कुल आना चाहिए. लेकिन अगर आ गया तो रखा कहा जाएगा. ये तो बड़ा सवाल है, क्या हमारे देश में बिल्कुल भी गोल्ड नहीं रखा हुआ है. हमने बिल्कुल रखा हुआ है. कहां रखा हुआ है, रिजर्व बैंक आफ इंडिया मुंबई हेड क्वार्टर वहां पर मिंटो रोड पर हमारा गोल्ड रखा हुआ है. साथ ही साथ हम नागपुर में भी अपना गोल्ड रखते हैं. यह जो गोल्ड आएगा इसे भी कुछ इसी प्रकार से सुरक्षित रखा जाएगा. 

उम्मीद है अब आपको यह डाउट भी क्लियर हो गया होगा. हम बाहर क्यों रखते हैं. 

साथियों अब हमारे पास में गोल्ड है इस समय 822 टनपिछले 10 सालों में हमारे पास में बहुत ज्यादा मतलब पिछले सालों के अंदर जो गोल्ड है. लगभग 200 टन गोल्ड हमने परचेस किया. 203.9 9 टन सोने के भंडार पिछले सालों में बड़े हैं. इंडिया ने खूब सारा गोल्ड खरीद के रख लिया क्योंकि दुनिया में सोना ही चलता है. तो हमने खरीद के रख लिया. कि भाई रखो ताकि भविष्य में कभी काम आएगा. इस तरह से गोल्ड खरीद के रख लिया. अब गोल्ड पिछले सालों में खरीद तो खूब सारा लिया. लेकिन रखा हुआ बाहर की बैंकों में है. तो उसे यहां से यहां भी तो लेकर आओ, अब यह डर क्यों आया कि वहां से यहां लेकर आओ, उसे बारे में भी प्रकाश डालेंगे लेकिन इससे पहले यह जान लीजिए दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड कहां है, तो देखी दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड जो है वह अमेरिका में है.

अब दूसरा एक पॉइंट और जान लीजिएगा जितना यह गोल्ड इटली रखकर बैठा है ना, इतना गोल्ड हमारे देश के मंदिरों के अंदर दान होकर के जमा है. यानी महिलाओं का गोल्ड रख लीजिए. उसके बाद मंदिरों में जो जमा है. वह भारत सरकार के पास जो गोल्ड है. उसका तीन गुना गोल्ड हमारे मंदिरों में है. तो बिंदास रहिए घबराइए नहीं सरकारी गोल्ड की बात हो रही है. आगे बढ़ते हैं चलिए ठीक है यहां तक समझ में आ गया तो यह स्थिरता पैदा करता है. इस तरह से आप समझ लीजिए तो उनके पास में चार लाख बार ऑफ गोल्ड रखी हुई है. तो उम्मीद है कि अब आप लोगों को सभी प्रश्नों का जवाब मिल गया होगा.

फिलहाल के लिए इतना ही अपना ख्याल रखें बहुत-बहुत धन्यवाद........